Navratri Kanya Pujan: इस विधि से करेंगे कन्या पूजन तो माता दुर्गा होंगी प्रसन्न, हर मनोकामना होगी पूरी 

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शक्ति की आराधना का महापर्व चैत्र नवरात्र के महानवमी के दिन पाठ का समापन और हवन के साथ कन्या पूजन किया जाता है। नवरात्रि में नवमी तिथि यानी अंतिम दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरुप मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। हवन होता है और पूर्णाहुति होने के बाद कुंवारी कन्याओं का भोजन-पूजन किया जाता है। आइये ज्योतिषविद विमल जैन से जानते हैं कि कन्या पूजन में किन बातों का रखना चाहिए विशेष ध्यान -

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कुंवारी कन्याओं के पूजन में उम्र का रखें ख्याल
ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि कुंवारी कन्याओं के पूजन के लिए कन्याओं की उम्र 2 वर्ष से 10 वर्ष तक होनी चाहिए. 10 वर्ष से ऊपर की कन्या नहीं होनी चाहिए। वहीं कन्या पूजन के लिए 9 कन्या की हीं जरुरत पड़ती हैं। कुंवारी कन्या पूजन में सबसे पहले यथासंभव हो सके और सामर्थ्य हो सके तो सभी 9 कन्याओं को नया वस्त्र पहनाएं। इसके बाद उन्हें शुद्ध और स्वच्छ आसान पर बैठाएं. आसान पर बैठने के बाद सभी 9 कन्याओं के पैर धोएं और कोई महिला उन कुंवारी कन्याओं के पैर को लाल रंग से रंगे। उसके बाद कुंवारी कन्याओं को टीका लगाएं। 

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कुंवारी कन्याओं के पूजन से माता होती है प्रसन्न
ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि नवरात्रों में कुंवारी कन्याओं के पूजन पूरे विधि विधान से करने से विशेष योग की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याओं को यथाशक्ति जो भी बने उनको भोजन जरूर कराएं। जिसमें पूरी, हलवा, खीर और अन्य प्रकार की मिठाई आदि का भोग लगाकर उनसे खाने के लिए आग्रह करें। भोजन के बाद कुंवारी कन्याओं को दक्षिणा के रूप में फल और पैसे आदि दें और फिर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। 

इस विधि से कुंवारी कन्याओं की पूजा करने से माता प्रसन्न होती हैं और भक्तों को उनकी पूजा का वास्तविक फल प्राप्त होता है। कन्या पूजन करने वाले भक्तों के जीवन से परेशानियां दूर होती है व खुशियों का आगमन होता है। उनकी हर मनोकामना पूरी होती है। 

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