Kaal Bhairav Jayanti 2023: कब मनाई जाएगी बाबा काल भैरव की जयंती? यहां जानें सही तारीख और शुभ मुहूर्त

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हिंदू धर्म में महादेव को कौन नहीं जानता। देवताओं और दानवों दोनों के वो देव हैं। इसलिए वह महादेव कहलाए जाते हैं। वैसे भगवान शिव के 11 रूद्र अवतार हुए हैं। जिनमें से पांचवा रूप उनका कालभैरव का है। जिनकी जयंती अगामी मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाई जाएगी।भगवान शिव का अंश अवतार होने के नाते बाबा काल भैरव भोलेनाथ की आराधना करने वालों की सदैव रक्षा करते हैं और शत्रुओं का नाश करते हैं। आइए जानते हैं इस बार काल भैरव जयंती कब मनाई जाएगी और इसका क्या महत्व है।

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काल भैरव जयंती और तिथि
काल भैरव जयंती - 5 दिसंबर 2023 दिन मंगलवार
मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि प्रारंभ - 4 दिसंबर 2023 दिन सोमवार रात 9 बजकर 59 मिनट से शुरू।
मार्गशीर्ष कृष्ण मास की पक्ष अष्टमी तिथि समापन - 6 दिसंबर 2023 दिन बुधवार दोपहर 12 बजकर 37 मिनट पर समाप्ती।
पूजा के लिए दिन का समय - 5 दिसंबर 2023 दिन मंगलवार की सुबह 10 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 29 मिनट तक।
पूजा के लिए रात का समय -  5 दिसंबर 2023 दिन मंगलवार की रात  11 बजकर 44 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 39 मिनट तक।

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4 या 5 दिसंबर डेट वाली कन्फ्यूजन को करें दूर
जैसा की आप जानते हैं। वैदिक पंचागं के अनुसार मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 4 दिसंबर 2023 दिन सोमवार रात 9 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 6 दिसंबर 2023 दिन बुधवार दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। उसके बाद मार्गशीर्ष मास की नवमी तिथि लग जाएगी। हिंदू धर्म में कोई भी व्रत, पूजा एवं अनुष्ठान के लिए उदयातिथि को सबसे शुभ माना जाता है। ऐसे में बाबा काल भैरव की जयंती 5 दिसंबर 2023 दिन मंगलवार को उदयातिथि में मनाई जाएगी।

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काल भैरव कैसे हुए प्रकट
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा और भगवान विष्णु को लेकर यह बात चली की दोनों में से कौन श्रेष्ण है। इस बात को लेकर सभी देवताओं के साथ ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु शिव जी के पास पहुंचे। उस समय सभी देवताओं ने इस बात का आपस में बैठ कर यह निष्कर्ष निकाला कि महादेव सबसे श्रेष्ठ हैं। लेकिन ब्रह्मा जी को ये बात स्वीकार न हुई और उन्होंने शिव जी को श्रेष्ठ न बता कर साधारण देव कहा और अपशब्ध भी बोला। इस बात पर शिव जी को क्रोध आगया और उस क्रोध के कारण उनके पांचवें रूद्र अवतार काल भैरव की उत्पत्ती हुई और क्रोध से भरे काल भैरव ने भोलेनाथ के अपमान का बदला ब्रह्मा जी के पांच मुखों मे से एक मुख काट कर लिया। तब से ब्रह्मा जी के चार मुख ही हैं। इस तरह काल भैरव जी की उत्पत्ती हुई।

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काल भैरव बाबा को इस तरह करें प्रसन्न
काल भैरव का आशीर्वाद पाने के लिए शनिवार के दिन काले कुत्तों को रोटी खिलाएं। ऐसा करने से वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
काल भेरव की पूजा करने से जीवन में शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है और ऐसे लोग शत्रु रहित होते हैं।
यदि आप काल भैरव जयंती के दिन उनकी विशेष पूजा अर्चना करते हैं। तो बाबा भैरव नाथ आप पर कभी भी आंच नहीं आने देंगे।
काशी में तो बाब काल भैरव को कोतवाल कहा गया है। मान्यता है कि काशी में अगर आप आते हैं तो सबसे पहले बाबा भैरव नाथ के दर्शन कर उनसे काशी में रहने की और बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए अनुमती लेनी पड़ती है। जो भी काशी दर्शन करने जाते हैं पहले भैरव नाथ जी के दर्शन करते हैं। माना जाता है कि शिव की नगरी काशी की रक्षा करने के लिए बाबा भैरव नाथ पांच स्थानों पर तैनात रहते हैं। काशी में भैरव बाबा का एक भव्य मंदिर है। जहां सभी भक्त उनके दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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