Janmashtami 2023: जन्माष्टमी पर क्या है खीरे का महत्व, इसके बिना क्यों अधूरी मानी जाती है कान्हा की पूजा

b
WhatsApp Channel Join Now

साल एक ऐसा दिन आता है जब सब बच्चे बन जाते हैं, क्योकि उस दिन नंदलाल श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। यह पवित्र दिन कृष्ण जन्माष्टमी कहलाता है। इस साल जन्माष्टमी 6 सितंबर को मनाई जाएगी। हर वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। श्री कृष्ण श्रीहरि विष्णु के आंठवे अवतार माने जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने दिन धरती पर मौजूद लोगों को कंस के अत्याचारों से बचाने के लिए माता देवकी के गर्भ से कंस की ही जेल में जन्म लिया था। नंदलाल का जन्म रात के बारह बजे हुआ था, इसलिए हर साल कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा रात में 12 बजे ही की जाती है। लड्डूगोपाल की पूजा में उनके श्रृंगार का बड़ा ही महत्व है। उनके भोग के लिए भी 56 प्रकार का खाना बनाया जाता है, लेकिन खीरे के बिना क्यों अधूरी मानी जाती है श्रीकृष्ण की पूजा, जानें यहां। 

n

जिस तरह से एक बच्चे का जन्म माता की कोख से होता है और उसे जन्म के बाद मां के गर्भाशय से गर्भनाल को काट कर अलग किया जाता है, उसी तरह जन्माष्टमी के दिन लड्डूगोपाल का जन्म खीरे से होता है। इस दिन सुबह से ही कृषअण के बाल रूप लड्डूगोपाल को खीरे के भीकर रखा जाता है। रात में जन्म के समय उनको खीरे से बाहर निकालकर जन्म का उत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। खीरे से कृष्ण के जन्म की इस प्रक्रिया को नाल छेदन कहते हैं। 

n

खीरे से बाल गोपाल का जन्म कैसे कराएं ?

जन्माष्टमी के दिन रात के 12:00 बजे नंदालाल का जन्म हुआ था तो ठीक उसी वक्त खीरे के डंठल को रात के 12 बजे एक सिक्के से काटकर कान्हा का जन्म कराएं। इस विधि के बाद कान्हा का शंक बजाकर स्वागत करें और खुशियां मनाएं। फिर श्री कृष्ण की पूरे विधि विधान से पूजा करें और भोग में पंजीरी और चरणामृत के साथ ही खीरा जरूर चढ़ाएं। 

n

नाल छेदन का सही तरीका

जन्माष्टमी के दिन खीरे को काट कर श्री कृष्ण का जन्म करवाने की प्रक्रिया को नाल छेदन कहा जाता है। इस दिन पूजा के दौरान खीरे को भगवान कृष्ण के पास रखकर रात के ठीक 12 बजे एक सिक्के से खीरा और डंठल को बीच से काट दें। इस प्रक्रिया से बाल कृष्ण का नाल छेदन कराना चाहिए। 

n

बाल गोपाल की पूजा में खीरे का महत्व

कान्हा को जन्माष्टमी पर खीरे का भोग जरूर लगाया चाहिए। ऐसी मान्यता है कि खीरे का भोग लगाने से भगवान श्रीकृष्ण बहुत खुश होते हैं और अपने भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं। मान्यता है जिस खीरे से नंदलाल का नाल छेदन किया गया हो अगर उस खीरे को बाद किसी गर्भवती महिला को खिला दिया जाए तो श्रीकृष्ण की ही तरह ही नटखट संतान पैदा होती है। 

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story