Hariyali Teej and Hartalika Teej: क्या है 'हरियाली तीज' और 'हरतालिका तीज' में अंतर?

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 सावन- भादों का महीना पूजा-पाठ का होता, दरअसल इन महीनों से पर्व और त्योहारों की शुरूआत होती है। इन माह के खास व्रतों में से एक है तीज की पूजा, जिसे महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए बड़े ही शौक से रखती हैं। सुहागिन महिलाएं इस व्रत में सुबह से शाम तक का निरजला व्रत रखती हैं और शाम को भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं और चांद को अर्ध्य देने के बाद अपने पति के हाथों पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। लेकिन अक्सर 'हरियाली तीज 'और 'हरितालिका तीज' को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन पैदा हो जाता है।

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क्या है 'हरियाली तीज' और 'हरतालिका तीज' में अंतर?

दरअसल सावन की तीज को 'हरियाली तीज' और भादों की तीज को 'हरितालिका तीज' कहा जाता है। दोनों ही व्रत सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं और दोनों ही व्रतों में शिव-पार्वती जी की पूजा होती है। हरियाली तीज सावन मास के शक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को और 'हरितालिका तीज' भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है।

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कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं व्रत

हरियाली तीज 19 अगस्त को और 'हरितालिका तीज' 18 सितंबर दिन सोमवार को पड़ रही है। दोनों ही व्रत काफी मानक हैं और खास बात ये है कि ये व्रत अच्छे वर की चाहत में कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं।

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पौराणिक मान्यता 

भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने वन में जाकर कई सालों तक तप किया था, वो भी निरजला, जिसके बाद भगवान शिव वहां प्रकट हुए थे और उन्होंने मां पार्वती से शादी की थी। वो दिन भादो मास की तीज का दिन था यानी कि 'हरितालिका व्रत', जबकि 'हरियाली तीज' दोनों के पुनर्मिलन का प्रतीक है। कुल मिलाकर सार इतना ही है कि दोनों व्रत प्रेम, त्याग और समर्पेण का प्रतीक है।

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शिव-पार्वती की पूजा इन मंत्रों से करनी चाहिए

ऊं शिवाय नम:
मंत्र ऊं उमायै नम:
ऊं पार्वत्यै नम:
ऊं जगद्धात्र्यै नम:
ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:
ऊं शांतिरूपिण्यै नम:
ऊं महेश्वराय नम:
ऊं पशुपतये नम:
ऊं महादेवाय नम:

 

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