Ganpati Visarjan 2023: कब होगा गणपति विसर्जन, जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा, पूजा विधि और नियम

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सनातन परंपरा में भगवान श्री गणेश की पूजा के लिए भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तिथि तक का समय अत्यधिक उत्तम माना गया है। मान्यता है कि इन 10 दिनों में की जाने वाली गणपति की साधना सभी दुखों को दूर करके सुख-सौभाग्य दिलाने वाली होती है। हिंदू धर्म में गणेश उत्सव के आखिरी दिन यानि अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा के भक्त उनकी बड़े धूम-धाम से विदाई करते हैं ताकि अगले साल उन्हें एक बार फिर उनकी साधना-आराधना करने का सौभाग्य प्राप्त हो सके। इस साल यह पावन तिथि 28 सितंबर 2023 को पड़ेगी। आइए जानते हैं कि गणपति का विसर्जन किस विधि से किया जाता है और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है। 

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गणेश विजर्सन का शुभ मुहूर्त
प्रात:काल 06:12 से लेकर 07:42 बजे के बीच में
प्रात:काल 10:42 से लेकर दोपहर 03:11 के बीच में
सायंकाल 04:41 से लेकर 06:11 के बीच में
सायंकाल 06:11 से लेकर रात्रि 09:11 के बीच में

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गणपति का क्यों किया जाता है विसर्जन
पौराणिक मान्यता के अनुसार श्री वेद व्यास जी ने जिस दिन महाभारत की कथा कहना प्रारंभ किया और गणपति ने उसे लिखना शुरु किया, वह दिन गणेश चतुर्थी का दिन था। मान्यता है कि महर्षि वेद व्यास ने लगातार 10 दिनों तक महाभारत की कथा कहते रहे और गणपति उसे लिखते रहे। 10 दिन बाद जब व्यास जी ने कथा कथा को विश्राम दिया तो उन्होंने पाया कि लगातार लिखते रहने के कारण भगवान श्री गणेश के शरीर का तापमान काफी बढ़ गया। तब उन्होंने उनके शरीर को ठंडा करने के लिए उन्हें पानी में डुबो दिया। n

गणेश विसर्जन की विधि
गणपति बप्पा की विदाई करने के लिए अनंत चतुर्दशी के दिन प्रात:काल तन और मन से पवित्र होकर भगवान श्री गणेश जी की पूजा करें और उसके उन्हें उनकी प्रिय चीजें जैसे मोदक, नारियल, फल, फूल, आदि अर्पित करने के बाद मंत्रों का जप एवं आरती करें। इसके बाद गाते-बजाते और उनका जयकारा लगाते हुए किसी किसी पवित्र जल स्थान में ले जाकर आदर के साथ गणपति की मूर्ति का विसर्जन करें। विसर्जन के बाद पूजा में हुई भूल-चूक की माफी मांगें और उसके बाद अगले साल फिर अपने घर-आंगन में आने का आमंत्रण दें। 

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