Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी पर क्यों खास है बप्पा का वस्त्र-श्रृंगार? जानें पहले तीन दिनों की परंपराएं

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 गणेश चतुर्थी, भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है. यह पर्व भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और देशभर में भक्त इस दिन अपने घरों और पंडालों में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित कर भव्य पूजा-अर्चना करते हैं. विशेष रूप से बप्पा के वस्त्र-श्रृंगार का महत्व बहुत माना जाता है. हर साल गणेश चतुर्थी पर गणपति का अलग-अलग श्रृंगार और पूजा की परंपरा होती है, क्योंकि यह सिर्फ एक सजावट नहीं, बल्कि भक्ति, परंपरा और प्रतीकात्मकता का संगम भी माना जाता है. गणेश चतुर्थी का उत्सव मुख्य रूप से 10 दिनों तक चलता है, और हर दिन का अपना एक विशेष महत्व होता है.पहले तीन दिनों की परंपराएं और उनका श्रृंगार-

Ganesh Chaturthi 2025: इस साल कब मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी? जानें सही तिथि और  गणपति बप्पा की पूजा का शुभ मुहूर्त | Ganesh Chaturthi, Ganesh Chaturthi 2025,  Ganesh Chaturthi date 2025
पहला दिन: प्राण-प्रतिष्ठा और पारंपरिक श्रृंगार

पहला दिन गणेश चतुर्थी का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन भक्त शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की प्रतिमा को घर लाते हैं और प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है. यह वह विधि है जिसके द्वारा मूर्ति में देवता का आह्वान किया जाता है.

वस्त्र: इस दिन गणेश जी को पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनाए जाते हैं. पीला रंग ज्ञान, खुशी और शुभता का प्रतीक है, जबकि लाल रंग शक्ति, मंगल और ऊर्जा को दर्शाता है.

श्रृंगार: प्रतिमा पर हल्दी, कुमकुम और चंदन का लेप लगाया जाता है. इसके बाद उन्हें फूलों की माला, विशेष रूप से गुड़हल के फूल (जो गणेश जी को बहुत प्रिय हैं), और दूर्वा घास अर्पित की जाती है. साथ ही, मोदक और लड्डू का भोग लगाया जाता है.

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दूसरा दिन: समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक
दूसरे दिन का श्रृंगार समृद्धि और सौभाग्य को समर्पित होता है.

वस्त्र: इस दिन अक्सर हरे या सुनहरे रंग के वस्त्र चुने जाते हैं. हरा रंग प्रकृति, विकास और समृद्धि का प्रतीक है, जबकि सुनहरा रंग धन और सौभाग्य को दर्शाता है. कई जगहों पर जरी-काम वाले या कढ़ाई वाले वस्त्र भी पहनाए जाते हैं.

श्रृंगार: गणेश जी को चांदी या सोने के गहने, जैसे कि मुकुट, हार और बाजूबंद पहनाए जाते हैं. इस दिन विशेष रूप से फलों और मेवों का भोग लगाया जाता है.

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तीसरा दिन: सादगी और भक्ति का भाव
तीसरा दिन सादगी और गहन भक्ति को समर्पित होता है.

वस्त्र: इस दिन अक्सर सफेद या नारंगी रंग के वस्त्र पहनाए जाते हैं. सफेद रंग शांति, शुद्धता और सादगी का प्रतीक है, जबकि नारंगी रंग आध्यात्मिकता और त्याग को दर्शाता है. यह रंग भक्तों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा देता है.

श्रृंगार: श्रृंगार में अधिक सादगी रखी जाती है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि यह कम सुंदर होता है. फूलों की माला, दूर्वा और चंदन का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है. भोग में तिल के लड्डू और गुड़ से बनी चीजें शामिल की जाती हैं.

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बप्पा के वस्त्र-श्रृंगार का महत्व
गणेश चतुर्थी पर बप्पा का वस्त्र-श्रृंगार केवल सौंदर्य बढ़ाने के लिए नहीं किया जाता, बल्कि इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. हर रंग और हर वस्त्र का अपना एक विशेष संदेश होता है. गणेश जी को नए वस्त्र पहनाना उन्हें सम्मान देने का एक तरीका है, जैसे हम किसी प्रिय अतिथि का स्वागत करते हैं. यह भगवान के प्रति हमारी श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है.

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