Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी के दिन ना करें चांद देखने की गलती, जानिए क्यों?

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य और यहां तक कि अनुष्ठान आदि में भी सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। क्योंकि उन्हें प्रथम पूजनीय देवता का स्थान गया है और कहते हैं कि गणपति का नाम लेकर शुरू किया गया कार्य हमेशा सफल होता है। ऐसे में गणेश चतुर्थी का दिन तो विशेष तौर पर भगवान गणेश को समर्पित होता है और 10 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में लोग गणपति को प्रसन्न करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार से पूजा-अर्चना करते हैं। इस साल गणेश चतुर्थी का पर्व 18 सितंबर को मनाया जाएगा और इस दिन लोग व्रत भी करते हैं लेकिन इस व्रत का पारण चंद्रमा के दर्शन से नहीं किया जाता। क्योंकि इस दिन चांद देखने की मनाही होती है। इसके पीछे एक बेहद ही खास वजह छिपी हुई है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी वजह और पौराणिक कथा के बारे में।
गणेश चतुर्थी पर इसलिए नहीं करते चंद्रमा के दर्शन
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान श्रीगणेश अपनी माता पार्वती के आदेशानुसार घर के मुख्य द्वार पर पहरा दे रहे थे। तभी भगवान शिव वहां आए और अंदर जाने लगे। ऐसे में गणेश भगवान ने मना कर दिया और उन्हें घर के अंदर जाने से रोक दिया। तब महादेव ने गुस्से में आकर भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। इतने पर देवी माता पार्वती जी वहां आ गईं। उन्होंने भगवान शिव जी से कहा कि यह आपने क्या अनर्थ कर दिया, ये तो पुत्र गणेश हैं। आप इन्हें पुनः जीवित करें।
तब भगवान शिव ने गणेश जी को गजानन मुख देकर नया जीवन दिया। इस पर सभी देवता गजानन को आशीर्वाद दे रहे थे, परंतु चंद्र देव इन्हें देखकर मुस्करा रहे थे। चंद्रदेव का यह उपहास गणेश जी को अच्छा न लगा और वे क्रोध में आकर चंद्रदेव को हमेशा के लिए काले होने का शाप दे दिया। श्राप के प्रभाव से चंद्र देव की सुंदरता खत्म हो गई और वे काले हो गए। तब चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने गणेश जी से क्षमा मांगी। तब गणपति ने कहा कि अब आप पूरे माह में केवल एक बार अपनी पूर्ण कलाओं में आ सकेंगे। यही कारण है कि पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा अपनी समस्त कलाओं से युक्त होते हैं।
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