Eid Ul Adha 2024 in India: 16 या 17 जून, कब है ईद उल अज़हा? जानिए
बकरीद या ईद उल-अज़हा मुस्लिम समुदाय के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार कुर्बानी और त्याग के प्रतीक रूप में हर साल मनाया जाता है। इस दिन ‘हलाल जानवर’ की कुर्बानी देने की प्रथा है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, साल के 12वें यानी आखिरी महीने जिलहिज्जा के चांद दिखने के बाद 10वीं तारीख को बकरीद मनाई जाती है। इस साल बकरीद कब मनाई जाएगी और कैसे शुरू हुई इस दिन कुर्बानी देने की परंपरा आइए विस्तार से जानते हैं।
भारत में कब है बकरीद?
मौलाना जुबैर रजा ने बताया कि भारत में 7 जून को जिलहिज्जा का चांद देखें जाने की सूचना मिली थी। जिलहिज्जा के 10वें दिन बाद बकरी ईद मनाई जाती है। ऐसे मे भारत में बकरीद 17 जून को मनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि जिल्काद के 29वें दिन चांद दिखने के बाद इस्लामी कैलेंडर का आखिरी महीना जिलहिज्जा की शुरुआत होती है।
मुफ्ती मुकर्रम ने कहा, ‘ईद उल फित्र के उलट बकरी ईद का त्योहार इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने के चांद दिखने के 10वें दिन मनाया जाता है, इसलिए इस ईद के लिए फौरन ऐलान करने की कोई जरूरत नहीं होती और अलग-अलग जगहों से चांद नज़र आने की तस्दीक होने का इंतजार किया जाता है.’ गुजरात समेत देश के अलग-अलग राज्यों में बकरीद का चांद देखा जा चुका है। इसके अलावा, जामा मस्जिद के पूर्व शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी 17 जून को बकरीद मनाए जाने की घोषणा की।
ईद के कितने दिन बाद मनाई जाती है बकरीद?
इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक महीने में 29 या 30 दिन होते हैं, जो चांद दिखने पर निर्भर करते हैं। ईद उल अज़हा या बकरीद, ईद उल फितर के पूरे 2 महीने 9 दिन बाद मनाई जाती है। 7 जून से इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने ‘जिलहिज्जा’ का महीना शुरू हो गया है और ईद उल अज़हा 17 जून सोमवार को मनाई जाएगी।
तीन हिस्सों में बटता है कुर्बानी का मांस
बकरी ईद का यह त्योहार त्याग, समर्पण और आस्था का प्रतीक माना जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन अपनी हैसियत यानी क्षमता के अनुसार कुर्बानी देते हैं और कुर्बानी के मांस को गरीबों और जरूरतमंदों में बांटते हैं। कुर्बानी का मांस तीन भागों में बांटने का विधान है। एक भाग गरीबों और जरूरतमंदों को दिया जाता है, दूसरा भाग रिश्तेदारों और दोस्तों को तो वहीं तीसरा भाग खुद रखा जाता है। यह त्योहार गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने और समाज में भाईचारे-सद्भावना को बढ़ावा देने की सीख देता है।
क्यों मनाई जाती है बकरी ईद?
इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, ईद उल अज़हा पैगंबर इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाई जाती है। कुरआन और हदीस में जिक्र मिलता है कि पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल को इस दिन अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह की राह में कुर्बान करने जा रहे थे। तभी अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दे दिया और इस्माइल की जगह एक दुम्बा (बकरी की एक प्रजाती)को कुर्बान कर दिया। इसके बाद से ही कुर्बानी के तौर पर बकरे को कुर्बान कर यह त्योहार मनाया जाने लगा।
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।