सेबी की जांच में बड़ा खुलासा, छोटी कंपनियां इनवेस्टमेंट बैंकर्स के साथ मिल कर बढ़ा रही हैं आईपीओ का सब्सक्रिप्शन

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सेबी की जांच में बड़ा खुलासा, छोटी कंपनियां इनवेस्टमेंट बैंकर्स के साथ मिल कर बढ़ा रही हैं आईपीओ का सब्सक्रिप्शन


- मार्केट रेगुलेटर सेबी ने शुरू की अलग-अलग आयामों की जांच

नई दिल्ली, 24 सितंबर (हि.स.)। मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) जल्दी ही एसएमई प्लेटफॉर्म पर लांच होने वाले आईपीओ पर लगाम कस सकता है। इसके लिए सेबी की ओर कुछ सख्त नियमों का जल्दी ही ऐलान होने की बात कही जा रही है। सेबी की एक जांच में खुलासा हुआ है कि आईपीओ के तहत भारी भरकम सब्सक्रिप्शन के लिए कुछ कंपनियां गलत तरीके अपना रही है। इस काम में उन्हें कुछ इन्वेस्टमेंट बैंकर्स का साथ मिल रहा है। इस खुलासे के बाद सेबी ने सख्ती को और बढ़ाने का फैसला किया है।

दरअसल, सेबी ने इस साल की शुरुआत में कुछ इन्वेस्टमेंट बैंकों की जांच शुरू की थी। इस जांच में फोकस इस बात पर था कि बैंकों ने कंपनियों से कितनी फीस ली। जांच में पता चला कि करीब आधा दर्जन छोटे इन्वेस्टमेंट बैंकर्स ने कंपनियों से आईपीओ के जरिए जुटाए गए पैसे का करीब 15 प्रतिशत अपने फीस के रूप में लिया, जबकि देश में आमतौर पर इन्वेस्टमेंट बैंकर्स की फीस 1 से लेकर 3 प्रतिशत के दायरे में होती है। जाहिर है कि इन इन्वेस्टमेंट बैंकर्स ने कंपनियों से भरी भरकम फीस की वसूली की। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि आईपीओ के तहत अधिक से अधिक सब्सक्रिप्शन हासिल किया जा सके। हालांकि इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है कि सेबी ने किन इन्वेस्टमेंट बैंकर्स की जांच की है।

फिलहाल देश में 50 से अधिक इन्वेस्टमेंट बैंकर एसएमई सेगमेंट के आईपीओ के लिए काफी एक्टिव होकर काम कर रहे हैं। सेबी की जांच में पता चला है कि इन्वेस्टमेंट बैंकर्स द्वारा अधिक फीस इसलिए ली जा रही है, ताकि आईपीओ को कई गुना सब्सक्रिप्शन मिल सके। सेबी को इस बात की भी जानकारी मिली है कि इन्वेस्टमेंट बैंकर्स और निवेशकों के कुछ ग्रुप द्वारा नियमों का उल्लंघन करते हुए योजनाबद्ध तरीके से आईपीओ में बड़ी-बड़ी बोलियां लगाई जाती हैं।

बताया जा रहा है कि निवेशकों के इन ग्रुप्स द्वारा इन्वेस्टमेंट बैंकर हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई) कैटेगरी में और रिटेल इन्वेस्टर कैटेगरी में बड़ी-बड़ी बोलियां लगवाते हैं। हालांकि नियमों का उल्लंघन होने की वजह से अलॉटमेंट के समय इन बोलियां को कैंसिल कर दिया जाता है, लेकिन अलॉटमेंट के पहले ये बोलियां भी सब्सक्रिप्शन के कुल आंकड़े में जोड़कर देखी जाती हैं, जिससे मार्केट में ये संदेश जाता है कि आईपीओ को तगड़ा रिस्पॉन्स मिल रहा है। ऐसा होने पर छोटे निवेशक आमतौर पर जबरदस्त रिस्पॉन्स वाले आईपीओ में बोली लगाते हैं, जिससे आईपीओ की मांग बढ़ जाती है। यही कारण है कि सेबी इन्वेस्टमेंट बैंकर्स और फर्जी निवेशकों के ग्रुप के गठजोड़ को चिन्हित करने की कोशिश में है, ताकि ऐसे बैंकर्स और निवेशकों को ब्लैक लिस्ट किया जा सके।

पिछले कुछ समय से प्राइमरी मार्केट में आईपीओ की हलचल काफी तेज रही है। इसके कारण कई अनियमितताओं की शिकायतें भी सामने आई हैं। यही वजह है कि मार्केट रेगुलेटर की ओर से एसएमई सेगमेंट के शेयरों की लिस्टिंग को लेकर नियम भी बना दिया गया है कि इस सेगमेंट के शेयर अधिकतम 90 प्रतिशत प्रीमियम पर ही लिस्ट हो सकते हैं। इस सेगमेंट में निवेश के खतरों को लेकर सेबी इन्वेस्टर्स को पहले ही चेतावनी भी दे चुका है। अब निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए मार्केट रेगुलेटर सख्त नियम तैयार करने की कोशिश में लगा है। इन्हीं कोशिशों के तहत सेबी ने अलग-अलग आयामों की जांच शुरू की है।

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हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक

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