जीएसटी काउंसिल से रियल एस्टेट डेवलपर्स को मिल सकती है राहत, होम बायर्स को भी हो सकता है फायदा

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जीएसटी काउंसिल से रियल एस्टेट डेवलपर्स को मिल सकती है राहत, होम बायर्स को भी हो सकता है फायदा


- 22 अगस्त को ग्रुुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में हो सकता है अहम फैसला

नई दिल्ली, 17 अगस्त (हि.स.)। जीएसटी काउंसिल की 9 सितंबर को होने वाली बैठक में रियल एस्टेट डेवलपर्स को राहत मिलने के संकेत मिल रहे हैं। इस बैठक में जमीन के सौदों में डेवलपमेंट राइट्स पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी का विवाद भी सुलझ सकता है। अगले सप्ताह 22 अगस्त को रियल एस्टेट से संबंधित फैसला लेने के लिए गठित ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करके ठोस प्रस्ताव तैयार किया जा सकता है।

जानकारों के मुताबिक 22 अगस्त को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होने के आसार हैं। रियल एस्टेट डेवलपर्स लंबे समय से इस मुद्दे को लेकर सरकार के सामने अपना पक्ष रख रहे हैं। डेवलपर्स का कहना है कि जमीन के सौदों में ज्वाइंट डेवलपमेंट राइट्स पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने से लैंड कॉस्ट में बढ़ोतरी हो जाती है, जिसका असर रियल एस्टेट के ग्राहकों पर पड़ता है। खास कर फ्लैट और होम बायर्स के लिए लागत काफी अधिक बढ़ जाती है, जिसकी वजह से रियल एस्टेट सेक्टर के डेवलपमेंट पर नेगेटिव असर भी पड़ता है।

मौजूदा नियमों के मुताबिक विकसित होने योग्य भूमि (डेवलपेबल लैंड) की खरीद-बिक्री पर तो जीएसटी नहीं लगता है लेकिन जमीन के विकास के लिए डेवलपमेंट राइट्स लेने पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाई जाती है। ऐसा होने से जमीन की ओवरऑल कीमत में बढ़ोतरी हो जाती है और फ्लैट या घर खरीदने वाले लोगों के लिए सौदा महंगा हो जाता है। सौदा महंगा होने का असर ये होता है कि कुल सौदों की संख्या में कमी आ जाती है। इसके परिणामस्वरूप रियल एस्टेट डेवलपर्स के मुनाफे पर प्रतिकूल असर पड़ता है। कई बार अपना फंसा हुआ पैसा निकालने के लिए रियल एस्टेट डेवलपर्स को कम मुनाफे पर या मामूली नुकसान पर ही सौदे को फाइलन करना पड़ता है।

यही वजह है कि लैंड ओनर्स और डेवलपर्स डेवलपमेंट राइट्स पर लगने वाले 18 प्रतिशत जीएसटी का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में अगर इस मसले को लेकर कोई फैसला लिया जाता है और तत्संबंधी सिफारिश की जाती है तो 9 सितंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में भी इस पर निर्णायक मोहर लगा सकती है।

जानकारों का कहना है कि इस मसले पर ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स द्वारा अगर ठोस सिफारिश की जाती है तो रियल एस्टेट में लंबे समय से जारी असमंजस को खत्म कर घर खरीदने वाले ग्राहकों को राहत पहुंचा जा सकता है। यही वजह है कि 9 सितंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक के पहले लोगों की नजरें 22 अगस्त को होने वाले ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक पर टिकी हुई है।

हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक / पवन कुमार

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