बांग्लादेश हिंसा से गुजरात के मसाला व कपड़ा उद्योग को हजारों करोड़ का नुकसान
-टेक्सटाइल में गुजरात के लिए स्वर्णिम अवसर भी हाथ लगने की उम्मीद
सूरत, 10 अगस्त (हि.स.)। बांग्लादेश में अराजकता व हिंसक माहौल के बीच गुजरात के लिए व्यापार-उद्योग को हजारों करोड़ रुपये के नुकसान होने की आशंका है। खासकर गुजरात के मसाला और टेक्सटाइल उद्योग को बड़ा झटका लगा है। गुजरात के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी मात्रा में मसाला बांग्लादेश निर्यात किया जाता है। वहीं, सूरत से तैयार फैब्रिक्स भी बड़ी मात्रा में कोलकाता व मुंबई होते हुए बांग्लादेश जाता है, जहां इसका इस्तेमाल वहां के गार्मेंट इंडस्ट्रीज में किया जाता है।
जानकारी के अनुसार भारत और बांग्लादेश के बीच 16 बिलियन डालर का व्यापार होता है। इसमें 13-14 बिलियन डालर के विभिन्न वस्तुओं का निर्यात भारत से बांग्लादेश किया जाता है। जबकि महज 2 बिलियन डालर की वस्तुओं का बांग्लादेश से भारत आयात किया जाता है। इसमें गुजरात से बड़ी मात्रा में मसाला का निर्यात होता है। वहीं, सूरत से टेक्सटाइल फेब्रिक्स का बांग्लादेश निर्यात किया जाता है। व्यापारिक संगठनों से मिली जानकारी के अनुसार सूरत से करीब 500 करोड़ रुपये के कपड़े के कारोबार और गुजरात के विभिन्न जिलों से करीब 3000 करोड़ रुपये के मसाला व्यापार पर इसका असर होगा। बांग्लादेश में यही हालात लंबे समय तक बने रहे तो सूरत टेक्सटाइल इंडस्ट्री को इसका लाभ भी हो सकता है।
गुजरात से 3 हजार करोड़ का जीरा, तिल और इसबगोल का निर्यात
भारतीय मिर्च-मसाला का वैश्विक बाजार में खूब मांग है। भारतीय मिर्च के आयात में बांग्लादेश विश्व के देशों में चौथे क्रम में है। चीन, मलेशिया और थाईलैंड में भारतीय मिर्च की सर्वाधिक मांग होती है। देश से हर साल 9 हजार करोड़ रुपये के मिर्च-मसाला का निर्यात बांग्लादेश को किया जाता है। इन मसालों में मिर्च, हल्दी, जीरा, तिल, इसबगोल शामिल है। मुख्यरूप से मिर्च आंध्रप्रदेश और तेलंगाना से बांग्लादेश भेजा जाता है, जबकि जीरा, तिल और इसबगोल का सर्वाधिक उत्पादन गुजरात में होता है, जिससे गुजरात से हर साल 2500 से 3000 करोड़ रुपये का जीरा, तिल और इसबगोल बांग्लादेश निर्यात किया जाता है।
अहमदाबाद में भारतीय मसाला निर्यात फेडरेशन के सचिव हिरेन गांधी ने बताया कि हर साल भारत का बांग्लादेश के साथ मसाले का कारोबार करीब 9000 करोड़ रुपये का होता है। पिछले कुछ दिनों से निर्यात में काफी गिरावट आई है। 150 से अधिक ट्रक बांग्लादेश के बाहर ही रोक दिए गए हैं। कई दिनों से महाराष्ट्र का सेंट्रल बैंक भी बंद है, इससे ट्रांजेक्शन क्लियरेंस भी नहीं हो रहा है। हाल में सभी आयात-निर्यात बंद हो गया है।
सूरत के व्यापारियों के पेमेंट अटकने की आशंका
दूसरी ओर सूरत के कपड़ा उद्योग को बांग्लादेश की परिस्थिति के कारण बड़ा नुकसान हुआ है। व्यापारियों के भेजे कपड़ों के पेमेंट अटकने की आशंका है। व्यापारियों का मानना है कि सूरत के कपड़ा व्यापार को करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है। जानकारी के अनुसार बांग्लादेश में जो गार्मेंट तैयार होता है, वह दो प्रकार का है। यहां सर्वाधिक कॉटन बेस और इसके बाद सिंथेटिक फेब्रिक का उपयोग किया जाता है। विश्व में चीन के बाद सबसे अधिक फैब्रिक सूरत में तैयार होता है। रेडिमेड गार्मेंट में सर्वाधिक सिंथेटिक कपड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। बांग्लादेश में सिंथेटिक फेब्रिक सूरत से बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट होता है जो कि वाया दिल्ली होते हुए बांग्लादेश पहुंचता है।
फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश हाकिम ने कहा कि बांग्लादेश की आपदा से टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा है। हालांकि दूरगामी असर में बांग्लादेश का गार्मेंट इंडस्ट्री वहां से डायवर्ट हो सकता है, जिसका फायदा सूरत उठा सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय / संजीव पाश
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