घरेलू बाजार में एफआईआई की घटी हिस्सेदारी, डीआईआई बन सकते हैं सबसे बड़े नॉन प्रमोटर

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घरेलू बाजार में एफआईआई की घटी हिस्सेदारी, डीआईआई बन सकते हैं सबसे बड़े नॉन प्रमोटर


- एफआईआई की हिस्सेदारी 12 साल के सबसे निचले स्तर पर आई

नई दिल्ली, 8 नवंबर (हि.स.)। घरेलू शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा अक्टूबर महीने से ही जमकर बिकवाली की जा रही है। इसके कारण नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनियों में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी घट कर 15.98 प्रतिशत के स्तर तक आ गई है। पिछले 12 साल के दौरान एनएसई में लिस्टेड कंपनियों में एफआईआई की हिस्सेदारी का ये सबसे निचला स्तर है।

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में विदेशी संस्थागत निवेशकों की स्टॉक होल्डिंग मासिक आधार पर 8.8 प्रतिशत कम होकर 71.08 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर आ गई। इसके पहले सितंबर के महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों की स्टॉक होल्डिंग 77.96 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर थी। अक्टूबर में आई ये गिरावट मार्च 2020 के बाद की सबसे बड़ी मासिक गिरावट है। दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनियों में घरेलू म्युचुअल फंड्स की हिस्सेदारी मासिक आधार पर 9.32 प्रतिशत से बढ़कर 9.58 प्रतिशत यानी 42.36 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई लेवल पर आ गई।

इसी तरह अगर घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की ओवरऑल इक्विटी होल्डिंग की बात करें, तो सितंबर महीने तक डीआईआई के एसेट्स की टोटल वैल्यू 76.80 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंची हुई थी। सितंबर में खत्म हुई तिमाही में मासिक आधार पर उनकी होल्डिंग 16.15 प्रतिशत से बढ़कर 16.21 प्रतिशत की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी।

एनएसडीएल ने अक्टूबर के महीने के लिए घरेलू संस्थागत निवेशकों की इक्विटी होल्डिंग का डेटा अभी रिलीज नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि डीआईआई की इक्विटी होल्डिंग एफआईआई की इक्विटी होल्डिंग से अधिक हो चुका है। डीआईआई ने अक्टूबर के महीने में इक्विटी मार्केट में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। ऐसे में जब दिसंबर के महीने में इक्विटी होल्डिंग के आंकड़े सामने आएंगे, तब डीआईआई की ओवरऑल इक्विटी होल्डिंग की सटीक जानकारी मिल सकेगी।

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर डीआईआई की होल्डिंग एफआईआई की होल्डिंग की तुलना में अधिक हो जाती है, तो भारतीय शेयर बाजार के लिए ये बहुत बड़ा बदलाव होगा, क्योंकि अभी तक एफआईआई इक्विटी मार्केट में सबसे अधिक हिस्सेदारी वाले नॉन प्रमोटर यानी इन्वेस्टर रहे हैं। ये कभी भी बड़ी बिकवाली करके मार्केट के रुझानों को पूरी तरह से बदल दिया करते थे। लेकिन अगर डीआईआई की इक्विटी होल्डिंग एफआईआई की इक्विटी होल्डिंग से अधिक हो जाती है, तो पहली बार डीआईआई शेयर बाजार के सबसे बड़े नॉन प्रमोटर इनवेस्टर बन जाएंगे। ऐसा होने से शेयर बाजार पर विदेशी निवेशकों का दबाव पहले की तुलना में काफी कम हो जाएगा।

धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का कहना है कि डीआईआई घरेलू शेयर बाजार में अब प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। इसका अंदाजा अक्टूबर में शेयर बाजार की चाल को देख कर भी लगाए जा सकता है। अक्टूबर में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 94 हजार करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली की। सामान्य स्थिति में इतनी बड़ी बिकवाली के बाद दुनिया के किसी भी शेयर बाजार में हड़कंप मच जाता और बेंचमार्क इंडेक्स 20 प्रतिशत से भी अधिक गिर जाते, लेकिन अक्टूबर महीने में एफआईआई की बिकवाली के जवाब में डीआईआई ने भी आक्रामक अंदाज में लिवाली की, जिसकी वजह से बेंचमार्क इंडेक्स में महज 6 प्रतिशत की ही गिरावट दर्ज की गई। ये डीआईआई के भारतीय शेयर बाजार में बढ़ रहे प्रभाव का सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसे घरेलू शेयर बाजार के भविष्य के लिए काफी शुभ माना जा सकता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक

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