अक्टूबर में सेलर बने विदेशी निवेशक, सिर्फ 9 दिन में की 58,394 करोड़ की बिकवाली
- डीआईआई ने 57,792 करोड़ की लिवाली कर बाजार को दिया सपोर्ट
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (हि.स.)। अक्टूबर के महीने में विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) अभी तक भारतीय शेयर बाजार में शुद्ध बिकवाल बने हुए हैं। शुक्रवार को खत्म हुए कारोबारी सप्ताह के दौरान विदेशी निवेशकों ने 27,674 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की। सिर्फ शुक्रवार को ही विदेशी निवेशकों ने दिन भर में 4,163 करोड़ रुपये की बिकवाली की। अक्टूबर के महीने में अब तक कुल 9 दिन कारोबार हुआ है। इन 9 दिनों में विदेशी निवेशक एकतरफा बिकवाली करते रहे हैं। इस दौरान उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में 58,394.56 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की।
स्टॉक एक्सचेंज के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर के महीने में विदेशी संस्थागत निवेशक जहां अंधाधुंध बिकवाली करते रहे, वहीं घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) खरीदारी करके लगातार शेयर बाजार को सपोर्ट देने की कोशिश करते रहे। सिर्फ शुक्रवार को ही घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 3,731 करोड़ रुपये की खरीदारी की। अक्टूबर के महीने में अभी तक घरेलू संस्थागत निवेशक करीब 57,792.20 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी कर चुके हैं।
स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों को देखें तो इस साल विदेशी संस्थागत निवेशक कुल 1.97 लाख करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली कर चुके हैं। दूसरी ओर घरेलू संस्थागत निवेशकों ने इस अवधि में 4.76 लाख करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की है। इस आंकड़े से साफ है कि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने विदेशी निवेशकों की बिकवाली की तुलना में दो गुना से अधिक खरीदारी करके घरेलू शेयर बाजार को लगातार सपोर्ट देने की कोशिश की है। घरेलू निवेशकों की इस खरीदारी के कारण शेयर बाजार न केवल बड़ी गिरावट से बच गया, बल्कि बाजार में लगातार तेजी का रुख भी बना रहा।
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि पिछले कुछ सालों के दौरान घरेलू शेयर बाजार के कारोबार के तरीके में बदलाव आया है। पहले विदेशी संस्थागत निवेशकों की मर्जी के हिसाब से शेयर बाजार में कारोबार होता था। विदेशी निवेशक कभी भी जोरदार खरीदारी करके बाजार की चाल को तेज कर देते थे, वहीं कभी भी बाजार में जबरदस्त बिकवाली करके शेयर बाजार को ध्वस्त कर देते थे। ऐसा होने से छोटे और खुदरा निवेशकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता था।
धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का कहना है कि पिछले कुछ सालों के केंद्र सरकार ने घरेलू संस्थागत निवेशकों को प्रोत्साहन देने की नीति अपना ली है, जिसकी वजह से शेयर बाजार की स्थिति में बदलाव हुआ है। केंद्र से मिले प्रोत्साहन के कारण घरेलू संस्थागत निवेशक मजबूती के साथ बाजार में पोजीशन बनाने लगे हैं। अब जितने आक्रामक तरीके से विदेशी निवेशक शेयर बाजार में बिकवाली करते हैं, उतनी ही तेजी से घरेलू संस्थागत निवेशक खरीदारी करने लगते हैं। इसी तरह जब विदेशी निवेशक आक्रामक अंदाज में खरीदारी करते हैं, तो घरेलू संस्थागत निवेशक बिकवाली करके न केवल मुनाफा कमाते हैं, बल्कि बाजार का बैलेंस बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
धामी का कहना है कि घरेलू संस्थागत निवेशकों की इसी भूमिका की वजह से भारतीय बाजार में पिछले कुछ सालों से अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव होना लगभग बंद हो गया है। काफी विपरीत परिस्थिति बनने पर भी शेयर बाजार में अधिकतम डेढ़ से दो प्रतिशत का उतार चढ़ाव ही होता है। हालांकि इतना उतार-चढ़ाव भी यदा कदा ही होता है। साफ है कि केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के तहत घरेलू संस्थागत निवेशकों को मिल रहे प्रोत्साहन के कारण अब घरेलू शेयर बाजार की स्थिति में काफी परिवर्तन हुआ है। इसकी वजह से विदेशी संस्थागत निवेशक अपनी मर्जी से भारतीय शेयर बाजार को चलाने की स्थिति में नहीं रह गए हैं। ऐसा होने से विशेष रूप से छोटे और खुदरा निवेशकों का हित भी सुरक्षित हुआ है।
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हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक
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