कैट ने जीएसटी को ईडी के तहत लाने से व्यापारियों में पैदा डर को बताया निराधार

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कैट ने जीएसटी को ईडी के तहत लाने से व्यापारियों में पैदा डर को बताया निराधार


नई दिल्ली, 13 जुलाई (हि.स.)। जीएसटीएन से डेटा साझा करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अधिकार देने वाली अधिसूचना से देशभर के व्यापारियों के बीच भय पैदा होने संबंधी आशंकाओं को कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने निराधार और अतार्किक करार दिया है।

कैट ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि इस तरह की खबरें कि अब उन्हें एक और सरकारी विभाग ईडी का सामना करना पड़ेगा, ईडी कभी भी उनकी जांच कर सकती है, इस तरह की आशंकाएं निराधार और अतार्किक हैं। कैट ने कहा कि अधिसूचना को पढ़ने से इस बात का पता चलता है कि व्यापारियों के खिलाफ ईडी कोई भी एकतरफा दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर सकता है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि सात जुलाई को जारी इससे संबंधित अधिसूचना के सावधानीपूर्वक और व्यापक अध्ययन से ये स्पष्ट है कि जीएसटी को ईडी के दायरे में शामिल करने को लेकर आशंकाए निराधार है। खंडेलवाल ने कहा कि अधिसूचना के मुताबिक यह वित्तीय खुफिया इकाई है, जो विभिन्न अन्य एजेंसियों और सरकारी विभागों की तरह ईडी के साथ जुड़ी है।

उन्होंने कहा कि एफआईयू संभावित अवैध वित्तीय लेन-देन से संबंधित जानकारी प्राप्त करने, सावधानीपूर्वक प्रसंस्करण, सूक्ष्मता से विश्लेषण करने और प्रभावी ढंग से प्रसारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परिणामस्वरूप, व्यापारियों को ईडी द्वारा पूछताछ या जांच का सामना करना पड़ सकता है, यदि उन्हें एफआईयू की अटूट नजर से जांच के बाद दोषी माना जाता है तो। कारोबारी नेता ने कहा कि अगर वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) की जांच के तहत कोई भी दोषी पाया जाता है, तो प्रवर्तन निदेशालय सक्रिय रूप से शामिल होगा और उचित कार्रवाई करेगा।

खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी में कर योग्यता, छूट, वर्गीकरण, मूल्यांकन, आईटीसी के लिए पात्रता, रिफंड के लिए पात्रता आदि जैसे कानूनी विवादों को पीएमएलए के तहत कवर नहीं किया जा सकता है, इसमें आईटीसी क्लेम करने के लिए नकली चालान जारी करने का सहारा लेने जैसी गतिविधियां, टैक्स चोरी के इरादे से जारी किए गए फर्जी चालान, उसके आधार पर संपत्तियों के अधिग्रहण भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि धारा-66 ईडी को किसी भी प्राप्त जानकारी को किसी भी कर अधिकारी अथवा ऐसे अन्य पदाधिकारी जिन्हें अधिसूचित किया जा सकता है, उनको अधिकार देती है। इस प्रकार कर प्राधिकारी होने के नाते जीएसटी अधिकारी पहले से ही ईडी से कोई भी जानकारी प्राप्त करने के हकदार हैं। अब, 7 जुलाई की नवीनतम अधिसूचना के माध्यम से जीएसटीएन को भी एक अन्य प्राधिकरण के रूप में शामिल किया गया है, जो उन्हें ईडी से किसी भी जानकारी को साझा करने का हकदार बनाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/प्रजेश शंकर/पवन

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