एक्सपर्ट्स को ब्याज दरों में बदलाव की संभावना नहीं, आरबीआई कल करेगा फैसले का ऐलान
- वैश्विक उतार चढ़ाव के बावजूद स्थिर रह सकती हैं ब्याज दरें ः विशेषज्ञ
नई दिल्ली, 7 अगस्त (हि.स.)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) एक बार फिर ब्याज दरों को बिना किसी बदलाव के यथावत जारी रखने का फैसला ले सकती है। एमपीसी की बैठक मंगलवार, 6 अगस्त को शुरू हुई थी और गुरुवार, 8 अगस्त को समिति की बैठक में लिए गए फैसलों का खुलासा किया जाएगा। जानकारों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कुछ दिनों से जारी उथल-पुथल के बावजूद एक बार फिर मौद्रिक नीति समिति ब्याज दरों में किसी भी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला कर सकती है।
धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी के मुताबिक इन्फ्लेशन फिलहाल अपने कंफर्ट जोन से ऊपर बना हुआ है। ऐसी स्थिति में वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव होने के बावजूद ब्याज दरों में किसी भी तरह का बदलाव होने की संभावना काफी कम है। इसी तरह सरस्वती फाइनेंस एंड इन्वेस्टमेंट्स के चीफ इकोनॉमिस्ट पीएन मल्होत्रा का मानना है कि फिलहाल हेडलाइन इन्फ्लेशन 4 प्रतिशत से ऊपर बना हुआ है। इसके साथ ही कमोडिटी की कीमत, विशेष रूप से क्रूड ऑयल में वैश्विक स्तर पर आई गिरावट से ब्याज दर तय करने वाली मौद्रिक नीति समिति को अपना फैसला लेने में काफी सहायता मिल सकती है।
दूसरी ओर आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सूजॉन हाजरा का कहना है कि अमेरिका में लेबर मार्केट की खराब स्थिति के बीच ब्याज दरों को स्थिर रखने के लिए अमेरिकन फेडेरल रिजर्व ने जो फैसला लिया है, उससे मंदी की आशंका बन गई है। इसका असर दुनियाभर के स्टॉक मार्केट से लेकर मनी मार्केट तक पड़ा है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति उन पहलुओं पर भी विचार करेगी, जिनसे देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने की कोई भी संभावना नजर आती हो। हाजरा का मानना है कि यूरोपीय बाजार और चीन के ग्रोथ में आई गिरावट के कारण भारतीय रिजर्व बैंक ग्रोथ से जुड़ी आशंकाओं को पूरी तरह से खारिज नहीं कर सकता है। ऐसी स्थिति में बाजार को मंदी की चपेट में आने से बचाने के लिए रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। हालांकि उनका ये भी मानना है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति महंगाई की मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस बार ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने का फैसला ले सकती है लेकिन देश की अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने के लिए जल्दी ही ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला लेना पड़ेगा।
हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक / पवन कुमार श्रीवास्तव
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