कोयला मंत्रालय ने कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला खदानों की समीक्षा की

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कोयला मंत्रालय ने कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला खदानों की समीक्षा की


कोयला मंत्रालय ने कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला खदानों की समीक्षा की


नई दिल्‍ली, 12 सितंबर (हि.स.)। कोयला मंत्रालय ने गुरुवार को राजधानी नई दिल्ली में 64 “उत्पादक एवं उत्पादन करने की उम्मीद” वाली कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला खदानों की स्थिति की समीक्षा की। मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव और नामित प्राधिकारी रूपिंदर बराड़ ने इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की।

कोयला मंत्रालय ने जारी एक बयान में कहा कि मंत्रालय का यह रणनीतिक समीक्षा भारत के आत्मनिर्भर भारत विजन के अनुरूप है, जो एक लचीला, आत्मनिर्भर भारत बनाने का प्रयास करता है, जो न केवल अपनी ऊर्जा मांगों को पूरा करने में सक्षम हो, बल्कि वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भी उभर सके। मंत्रालय के मुताबिक बैठक के दौरान रूपिंदर बराड़ ने सभी आवंटियों के कोयला उत्पादन में वृद्धि के प्रयासों की सराहना की और उनसे चालू वित्त वर्ष 2024-25 के प्रतिबद्ध कोयला उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करने का आग्रह किया।

मंत्रालय ने कहा कि 31 अगस्त 2024 तक 55 कैप्टिव और वाणिज्यिक कोयला खदानें उत्पादन में संलग्न हैं। इनमें से 33 खदानें विद्युत क्षेत्र को, 12 खदानें गैर-विनियमित क्षेत्र को और 10 खदानें कोयले की बिक्री के लिए आवंटित की गई हैं। वित्‍त वर्ष 2024-25 में नौ खदानों से कोयला उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। मंत्रालय के प्रयासों से प्रभावशाली परिणाम मिले हैं, जिसमें कैप्टिव और वाणिज्यिक खदानों से कोयला उत्पादन और ढुलाई, दोनों मामलों में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

कोयले का उत्पादन 32 फीसदी बढ़ गया है, जो 01 अप्रैल से 31 अगस्त, 2023 के दौरान 50.11 मिलियन टन (एमटी) से बढ़कर चालू वित वर्ष 2024-25 में इसी अवधि के दौरान 65.99 एमटी हो गया। इसी प्रकार इन खदानों से कोयले की ढुलाई में भी 32 फीसदी की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो 01 अप्रैल से 31 अगस्त 2023 के दौरान 55.70 एमटी से बढ़कर वित्‍त वर्ष 2024-25 की इसी अवधि के दौरान 73.58 एमटी हो गई।

मंत्रालय ने कहा कि उत्पादन और ढुलाई दोनों मामलों में ये पर्याप्त वृद्धि कोयला मंत्रालय की विभिन्न पहलों की प्रभावशीलता और देश की घरेलू कोयला आपूर्ति को बढ़ाने के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। इसके अलावा ऊर्जा के मामले में पर्याप्तता एवं आर्थिक विकास के उन व्यापक राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप है, जो भारत को अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित एवं समृद्ध भविष्य के लिए तैयार करती है।

हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर

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