कैट ने वित्त मंत्री से पेय पदार्थों पर जीएसटी दर घटाने की मांग की
नई दिल्ली, 08 मई (हि.स.)। कारोबारियों के प्रमुख संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने पेय पदार्थों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर को घटाने की मांग की है। कैट ने पेय पदार्थों पर 28 फीसदी की दर घटाने की मांग करते हुए कहा कि उपकर लगने के बाद प्रभावी दर 40 फीसदी हो जाने से छोटे कारोबारियों की पूंजी फंस जाती है।
कैट ने सोमवार को जारी एक बयान में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला से आग्रह किया कि पेय पदार्थों पर जीएसटी दर घटाने के बारे में विचार करना चाहिए। कारोबारी संगठन ने इसकी जगह चीनी आधारित कर (एसबीटी) व्यवस्था अपनाने का सुझाव दिया है, जिसमें उत्पादों में चीनी की मात्रा के आधार पर कर दरें तय की जाती हैं।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि पेय पदार्थों में चीनी बहुत कम या नदारद होती है। लिहाजा इस व्यवस्था को लागू करने से टैक्स का बोझ घट जाएगा, जिससे खुदरा विक्रेताओं के पास अधिक कार्यशील पूंजी रहेगी। साथ ही वे अपनी बिक्री बढ़ाकर आमदनी दोगुनी कर सकेंगे। इससे आम लोगों के भी घरेलू खर्च में कमी आएगी। उन्होंने बताया कि कैट का यह प्रस्ताव 2023 के आर्थिक सर्वेक्षण में की गई सिफारिशों के अनुरूप भी है, जिसमें सुझाव दिया गया है कि भारत को खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा की ओर बढ़ना चाहिए।
खंडेलवाल ने बताया कि इस मुद्दे पर कैट एक राष्ट्रीय अभियान शुरू करने जा रहा है, जिसमें सभी स्टेकहोल्डर्स जैसे ट्रांसपोर्ट, किसान, लघु उद्यमी, हॉकर्स, महिला उद्यमी और नागरिकों को भी शामिल किया जाएगा। खंडेलवाल ने कहा की हमारा प्रस्ताव कम या बिना चीनी वाले पेय पदार्थों को प्रोत्साहन देकर उपभोक्ताओं के लिए प्रमुख स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि कैट ने हंसा रिसर्च के साथ मिलकर एक श्वेत पत्र जारी किया है, जिसमें पेय पदार्थ क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करके 'खुदरा विक्रेताओं की दोगुनी आय' पर एक श्वेत पत्र भी प्रकाशित किया है।
कैट महामंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया है कि पेय पदार्थों सहित अन्य वस्तुओं पर लागू जीएसटी की दर को घटाया जाए। इससे बेहद छोटे व्यापार करने वाले कारोबारियों पर जीएसटी की दर बहुत ज्यादा होने की वजह से उनका व्यापार प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी का सरलीकरण कर दिया जाए, तो छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए आय दुगुनी हो सकती है। खंडेलवाल ने कहा कि इन छोटे व्यापारियों में किराना स्टोर, जनरल स्टोर, पान की दुकान आदि शामिल है, जिसमें पेय पदार्थ का कारोबार करने वाले कारोबारियों का व्यापार का कम से कम 30 फीसदी होता है।
गौरतलब है कि जीएसटी परिषद ने 17 सितंबर, 2021 को कार्बोनेटेड पेय उत्पादों पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी और 12 फीसदी उपकर लगाने का फैसला किया गया था।
हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर/प्रभात
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