कैट ने गोयल और सिंधिया से हवाई किराया के लिए एमएसपी लाने की मांग की
नई दिल्ली, 08 दिसंबर (हि.स.)। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देश में हवाई किराया के लिए 'एमएसपी' लाने की मांग की है। कैट ने विभिन्न एयरलाइंस कंपनी द्वारा वसूले जाने वाले अतार्किक, अत्यधिक और अनिर्देशित हवाई किराया टैरिफ पर कड़ी चिंता जताते हुए कहा है कि इससे उपभोक्ताओं को काफी परेशानी और आर्थिक नुकसान हो रहा है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने शुक्रवार को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय नागरिक एवं उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से आग्रह किया है कि उपभोक्ताओं के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए, माल की बिक्री पर लगाए गए एमआरपी के पैटर्न पर एयर टैरिफ चार्ज करने के लिए एयरलाइंस पर अधिकतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) लगाया जाना चाहिए।
खंडेलवाल ने उचित टैरिफ लागू करने के लिए अर्ध-न्यायिक शक्तियों के साथ सेबी की तर्ज पर एक स्वतंत्र निगरानी निकाय बनाने का सुझाव भी दिया है। कैट महामंत्री ने कहा कि विभिन्न एयरलाइंस कार्टेल मोड में काम कर रही हैं, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि किसी भी क्षेत्र के लिए अलग-अलग एयरलाइंस लगभग समान शुल्क निर्धारित करती हैं, चाहे वह इकॉनमी एयरलाइन हो या पूर्ण सेवा एयरलाइन और इस प्रकार स्मार्ट तरीके से प्रतिस्पर्धा समाप्त की जाती है।
खंडेलवाल ने गतिशील मूल्य निर्धारण के नाम पर हवाई कंपनियों द्वारा की जा रही इस खुली लूट पर गंभीर चिंता व्यक्त की, जो एकाधिकार और पूंजीवाद बनाने के लिए एक रास्ते के अलावा और कुछ नहीं है। खंडेलवाल ने कहा कि एयरलाइन कंपनियां के हवाई टिकट की कीमतें वसूलने के मॉडल की जांच करना जरूरी है। ये कंपनियां किसी भी हवाई यात्रा के लिए पहले एक कीमत तय करती हैं, लेकिन जैसे-जैसे हवाई यात्रा की मांग बढ़ती है, कीमतें बिना किसी तथ्य के कई गुना और मनमाने ढंग से बढ़ा दी जाती हैं। कई मौकों पर तो यह बढ़ोतरी पांच या छह गुना या उससे भी अधिक होती है।
कैट महामंत्री ने कहा कि सभी हवाई कंपनियां इस भयावह खेल में शामिल हैं। ये कंपनियां एक कार्टेल बनाकर प्रतिस्पर्धा अधिनियम और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की भावना के विपरीत कीमतों में हेरफेर करती हैं। कारोबारी नेता ने कहा कि विमान नियम, 1937 के नियम 135 का हवाला दिया, जिसमें प्रावधान है कि (1) नियम 134 के उप-नियम (1) और (2) के अनुसार परिचालन करने वाला प्रत्येक हवाई परिवहन उपक्रम, सभी प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए टैरिफ स्थापित करेगा। इसमें संचालन की लागत, सेवा की विशेषताएं, उचित लाभ और आम तौर पर प्रचलित टैरिफ शामिल हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि 1994 से पहले हवाई किराया को एयर कॉर्पोरेशन अधिनियम, 1953 के तहत केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से विनियमित किया गया था। इसे 1994 में विनियमन कर दिया गया था। वर्तमान में विमान अधिनियम, 1934 के तहत नियम हवाई किराए की देखरेख करते हैं। उन्होंने कहा कि विमान नियम, 1937 के तहत एयरलाइनों को उचित लाभ और आम तौर पर प्रचलित टैरिफ को ध्यान में रखते हुए टैरिफ तय करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए, हम आग्रह करते हैं कि माल की बिक्री पर लगाए गए एमआरपी के पैटर्न पर एयर टैरिफ चार्ज करने के लिए एयरलाइंस पर अधिकतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) लगाना चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार/प्रजेश शंकर/प्रभात
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